Wednesday 12 June 2019

कांग्रेस में राहुल गांधी के विकल्प की तलाश, कार्यकारी अध्यक्ष के लिए रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी नाम होने से क्या मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के लिये अजय सिंह की राह होगी आसान !!


लोकसभा चुनाव 2019 में नरेंद्र मोदी की 'सुनामी'' में कांग्रेस को मिली करारी हार ने पार्टी नेताओं को अंदर तक हिलाकर रख दिया है. राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा वापस न लेने पर अड़े रहने की स्थिति में पार्टी के वरिष्ठ नेता एक कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने के मॉडल को अंतिम रूप दे रहे हैं. राहुल के विकल्प के लिए बुधवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता एके एंटनी की अध्यक्षता में बैठक हो रही है. इसमें सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर प्रियंका गांधी और अशोक गहलोत सहित कई नाम शामिल हैं. जिनमें से किसी एक को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकता है.
राहुल के नए उत्तराधिकारी के नाम को लेकर पार्टी में लगातार मंथन हो रहा है.
ज्योतिरादित्य सिंधिया
कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया काम नाम भी है. सिंधिया का बहुत बड़ा राजनीतिक कद नहीं है, ऐसे में गांधी-नेहरू परिवार के लिए उपयुक्त और फिट बैठ सकते हैं. लेकिन लोकसभा चुनाव में उनका जिस तरह से प्रदर्शन रहा है, उसे देखते हुए उनकी राह में मुश्किल हो सकती है. सिंधिया यूपी के प्रभारी थे, जहां पार्टी ने काफी खराब प्रदर्शन किया और खुद भी गुना सीट पर हार गए हैं.
सचिन पायलट 
दुसरा नाम कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिंन पायलट का है, जो राहुल गान्धी के विश्वासपात्रो मे गिने जाते है। सचिन पायलट का मजबूत पक्ष ये है की वो दिवंगत राजेश पायलट के पुत्र है और राजनीती उन्हे विरासत मे मिली है, काफी वक़्त तक वो राजस्थान के अध्यक्ष रहे है और उन्ही के कार्यकाल के दौरान राजस्थान मे कांग्रेस की वापसी हुई ।।
अशोक गहलोत
कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर सबसे प्रबल दाबेदारो मे अशोक गहलोत का भी नाम शामिल है, अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री और राजनीती के माहिर खिलाड़ी के तौर पर भी जाने जाते है, गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गान्धी के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर चलने वाले गहलोत ने कर्नाटक मे भी कांग्रेस की गटबन्धन्ं सरकार बनाने मे महत्वपुर्ण भुमिका अदा की थी , वो कांग्रेस के सर्वमान्य नेताओ मे गिने जाते है।।

अब मध्यप्रदेश कांग्रेस के उठापटक भरे माहौल मे यह देखना दिलचस्प होगा की सिंधिया के केंद्र की राजनीती मे सक्रिय हो जाने के बाद अजय सिंह का राश्ता आसान होता है, या पहले की तरह ही गुटवाजी और अंतर्कलह जारी रहेगा ।।

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