Sunday 16 June 2019

सिर्फ सरकार नहीं, समाज को करना होगी बेटियों की रक्षा, एक दिन कैंडल मार्च निकालकर चुप बैठ जाने से कुछ नहीं होगा : शिवराजसिंह चौहान !!


भोपाल। जब-जब भी देश पर संकट आया है, कोई न कोई आंदोलन खड़ा हुआ है। चाहे वो राजनीतिक हो, धार्मिक हो या सामाजिक हो। बेटियों को बचाने के लिए भी एक सामाजिक आंदोलन की जरूरत है। यह काम सरकार अकेली नहीं कर सकती। हमारी सरकार ने बेटी बचाओ अभियान चलाया था, अब बेटियों को बचाने के लिए समाज को ऐसा ही अभियान चलाना होगा। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष शिवराजसिंह चौहान ने शनिवार को मानस भवन में आयोजित धार्मिक, सामाजिक एवं व्यापारिक संगठनों के ‘बेटी बचाओ’ पर आयोजित संयुक्त सम्मेलन के दौरान कही। उन्होंने उम्मीद जताई कि बेटी बचाओ पर आयोजित यह कार्यक्रम पूरे देश में एक नए आंदोलन का सूत्रपात करेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि बेटियों को बचाने के लिए हमें अपराधी प्रवृत्ति के व्यक्तियों पर नजर रखना होगी। उनकी पहचान करना होगी और उन्हें सार्वजनिक रूप से दंडित कराना होगा। ऐसी प्रवृत्ति के लोगों के मन में कानून और समाज का भय पैदा करना जरूरी है, क्योंकि भय बिन होय न प्रीत।
श्री चौहान ने बेटियों पर हो रहे अत्याचारों के लिए नशे को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि आज गली-गली, मोहल्ले-मोहल्ले में नशीली चीजें उपलब्ध हैं। पुड़ियों में पावडर मिल रहा है, जिसका सेवन करने के बाद आदमी, आदमी नहीं रहता, जानवर बन जाता है। उन्होंने कहा कि मासूम बच्चियों पर अत्याचार के कई मामलों में नशे की भूमिका रेखांकित हुई है।
श्री चौहान ने कहा कि बेटियों को बचाने के लिए हम स्थानीय स्तर पर मोहल्ला समिति जैसे संगठन बनाकर काम कर सकते हैं। ये समितियां बेटियों से चर्चा करें, उनसे पूछें कि कोई उन्हें परेशान तो नहीं कर रहा, समितियां खुद भी अपने स्तर पर नजर रखें। इसके अलावा बेटियों को शारीरिक रूप से सक्षम बनाने पर भी ध्यान देना चाहिए, ताकि वे अत्याचारियों का मुकाबला कर सकें। इसके लिए उन्हें मार्शल ऑर्ट्स की ट्रेनिंग दी जा सकती है।
श्री चौहान ने कहा कि हम राजनीतिक अवसरों के लिए तो खूब बैनर-पोस्टर लगाते हैं, ऐसी ही सामग्री बेटी बचाओ के लिए तैयार करके जन जागरण किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमें मोहल्ले और कॉलोनी के स्तर पर बेटियों के सम्मान के लिए कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए, ताकि नई पीढ़ी के बच्चे यह जान सकें कि बेटियां पूजनीय हैं, सम्मान की अधिकारी हैं। उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ के लिए हमारे प्रयासों में निरंतरता होना चाहिए, एक दिन कैंडल मार्च निकालकर चुप बैठ जाने से कुछ नहीं होगा।

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