Wednesday 24 July 2019

एमपी में BJP की किरकिरी, सदन में बिल पर वोटिंग में 2 विधायक कमलनाथ के साथ, नारायण और शरद कोल ने कमलनाथ के साथ की पत्रकार वार्ता!!


भोपाल। कर्नाटक के बाद अब मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय स्तर पर पॉलिटिकल डॅामा शुरू हो गया है। बीजेपी नेता कर्नाटक में सरकार बनाने की खुशी मना रहे थे और इस बीच उनके ही घर में सेंध लग गई। आज विधानसभा में दंड विधि संशोधन विधयेक पर वोटिंग हुई। इसमें कांग्रेस को बहुमत हासिल हुआ। कांग्रेस के पक्ष में 122 वोट पड़े हैं। कांग्रेस के पक्ष में भाजपा के दो विधायकों ने क्रास वोटिंग की है। इसमें विधायक शरद कोल और विधायक नारायण त्रिपाठी का नाम सामने आया है। दोनो विधयकों को साथ लेकर कमलनाथ ने मीडिया से चर्चा की।
दोनों ही भाजाप विधायकों ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि बीजेपी के दावा पर भरोसा नहीं रहा है। हमें अपने क्षेत्र में विकास करना है। इसलिए हमने कांग्रेस का साथ दिया है। इस वोटिंग को हमारी घर वापसी माना जाए। वोटिंग के बाद सीएम कमलनाथ ने कहा कि, कई दिनों से ये बात चल रही थी कि ये सरकार अल्पमत में है। लेकिन आज दंड संशोधन विधेयक के दौरान हुई वोटिंग में भाजपा के दो विधायकों ने हमारे पक्ष में वोट किया। इसमें मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और ब्यौहारी के विधायक शरद कोल हैं। उन्होंने कहा कि, "मुझे ये बात साबित करनी थी कि ये सरकार अल्पमत में नहीं थी और आज विधेयक के पक्ष में हुई वोटिंग से ये साफ हो गया है। इतना ही नहीं बसपा, सपा और निर्दलीय विधायक भी हमारे साथ हैं। इस मौके पर नारायण त्रिपाठी ने कहा कि, मेरी घर वापसी हुई है।"
परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के पास कभी बहुमत न था और न है। अभी तो सिर्फ दो ही विधायक शामिल हुए हैं जल्द ही पार्टी में बीजेपी के दो और विधायक शामिल होंगे। गोपाल भार्गव के बयान पर उन्होंने आड़े हाथ लेते हुए कहा कि गोपाल भार्गव सिर्फ दावा करते रहे कि एक और दो नंबर से इशारा हो जाए और उनके दो हमारी पार्टी में शामिल हो गए। दोनो विधायको के क्रॉस वोटिंग को लेकर उनकी कांग्रेस में घर वापसी मानी जा रही है मीडिया में  दोनों नेताओं ने खुलकर मीडिया में इसके संकेत दिए हैं।
वही विधानसभा में हुए इस घटनाक्रम से बीजेपी में हड़कंप मच गया है। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान बीजेपी विधायकों के साथ बैठक कर रहे हैं। इस बैठक में आगे की रणनीति बनाई जाएगी। जिस तरह कर्नाटक में सियासी घटनाक्रम देखने को मिला मप्र में इसके उलट हालात बन गए और मैनेजमेंट के माहिर कमलनाथ ने एक बार फिर अपने मैनेजमेंट को साबित किया

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