Friday 14 June 2019

बलात्कारियों का फांसी के फंदे तक ना पहुंच पाना, हमारी व्यवस्था की कमजोरी को दर्शाता है !!


"राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड व्युरो" के अनुसार महिलाओ के साथ सालान साढ़े तीन लाख से जादा हुए अपराधों मे तकरीबन पचास हजार केस बलत्कार के होते है, प्रत्येक चार मे से केवल एक केस मे दोष सिद्ध हो पाता है ।
इससे खराब और दुखदायी और क्या हो सकता है की महिला अपराधो मे न्याय की प्रक्रिया हमारे देश मे अत्यंत धीमी और लचर है।
हमारे देश मे मासूम कन्यायो और बच्चो के साथ ज्यादती तत्पस्चात उनकी बर्बरता पुर्वक हत्या कर देना पाशविकता की पराकाष्ठा है। समझ मे नही आ रहा की जिस देश के लोगो के रग रग मे करुणा और मानवता के संस्कार बहते थे, वे इतने निर्दयी और पत्थर दिल कैसे हो गये। कानुन और सजा के प्रावधान के वाद भी ऐसे अपराधों का बढ़ना विचारणीय है।
अपराधी किसी भी जाति का या धर्म का हो अब उसे वख्शा नही जाना चाहिये ।ऐसे अपराध मे कुछ दोषियो को फांसी की सजा हुई भी लेकिन उनका फंदे तक ना पहुच पाना भी हमारी व्यव्स्था की कमजोरी को दर्शाता है ।।
बस स्मरण ये रहे की आपाधापी मे कोई बेकसूर कानून का शिकार ना हो जाए।।
इस मुद्दे पर हमारी राजनैतिक पार्टियो और राजनेताओ का मत भी स्पष्ट नही है क्युकी करीब करीब सभी पार्टियो मे महिला उत्पीड़न के अपराधी सांसद और विधायक बनकर बैठे हुए है ।
अब वक्त आ गया है की सरकारें नीद से जागे और ऐसे मसलो और अपराधो पर सख्त से सख्त कदम उठाये।।

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