Saturday 8 June 2019

कांग्रेस कोर कमेटी की इस बैठक में होगा बड़ा फैसला, यह दिग्गज नेता होंंगे शामिल

भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक होने जा रही है। इसमें प्रदेश समेत कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के नेता शामिल होंगे। बैठक शनिवार को प्रदेश कार्यालय में होना है। बैठक में चार सांसद भी शामिल होंगे। इनमें मुख्यमंत्री कमलनाथ, एआईसीसी महासचिव दीपक बाबरिया, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव और कांतिलाल भूरिया, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह शनिवार शाम को होने वाली बैठक में शामिल होंगे। गुना-शिवपुरी पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के भी इस बैठक में शामिल होने की संभावना थी, लेकिन उनका दौरा खारिज हो गया। उनके अलावा राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा, राजमणी पटेल और नवनिर्वाचित कांग्रेस सांसद नकुल नाथ इस बैठक में शिकतर करेंगे। 
लोकसभा चुनाव के बाद यह पहला मौका है जब कांग्रेस के दिग्गज एक साथ पीसीसी में जमा होंगे। इस बैठक में प्रदेश में मिली करारी हार पर मंथन के साथ आगे की रणनीति और प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर भी चर्चा होनी है। 2014 में, मध्य प्रदेश में कांग्रेस को लोकसभा की 29 में से 27 सीटें मिलीं। एक साल बाद,  बीजेपी के पूर्व सांसद दिलीप सिंह भूरिया के निधन के बाद उपचुनाव के दौरान अपने गढ़ रतलाम आदिवासी निर्वाचन क्षेत्र में फिर से जीत हासिल की थी। 
2014 के मुकाबले 2019 में किसी को भी पार्टी के लिए बड़ी उम्मीद नहीं थी। लोकसभा चुनाव से पांच महीने पहले, कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव जीता और राज्य में सरकार बनाई। और फिर लोकसभा में, उसे सिर्फ एक सीट मिली, ”कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा “जाहिर है, जब हमारे शीर्ष नेता हार गए तो लोकसभा में पार्टी का निराशाजनक प्रदर्शन चर्चा और समीक्षा का एक प्रमुख बिंदु होगा। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी चर्चा की जाएगी।  मुख्यमंत्री कमलनाथ को विधानसभा चुनाव से छह महीने पहले पिछले साल मई में एआईसीसी अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा राज्य इकाई के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के लिए भेजा गया था। 17 दिसंबर, 2018 को नाथ को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। वह सरकार बनने के बाद राज्य कांग्रेस प्रमुख के पद से हटना चाहते थे, लेकिन लोकसभा चुनाव के कारण पार्टी आलाकमान ने उन्हें रोक दिया। लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद, कमलनाथ मुख्यमंत्री के रूप में जारी रहेंगे, जबकि संगठन की अध्यक्षता किसी और नेता को सौंपी जाएगी। 
अगले साल जनवरी में नगरीय निकाय चुनाव होना है। जिसके लेकर भी संगठन में बड़े बदलाव होना है। इस एजेंडे पर भी चर्चा की जाएगी। राज्य की 16 नगर निगम चुनावों होना हैं। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद अब कांग्रेस को निकाय चुनाव में जीत के लिए अपना प्रदर्शन दिखाने की चुनौती है। 

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