Monday 29 July 2019

मध्यप्रदेश को एक बार फिर टाइगर स्टेट का दर्जा मिला, अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर बाघों की संख्या पर रिपोर्ट जारी हुई।


भोपाल। मध्यप्रदेश को एक बार फिर टाइगर स्टेट का दर्जा मिल गया है। मध्यप्रदेश में 526 बाघ हैं। मध्यप्रदेश में अवैध शिकार के कारण सबसे ज्यादा बाघ के मरने और पिछले सात सालों में मौतों के बावजूद मध्यप्रदेश को एक बार फिर टाइगर स्टेट का दर्जा मिल गया है। यह देश में सबसे अधिक टाइगर वाला प्रदेश बन गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर बाघों की संख्या पर रिपोर्ट जारी कर दी। देशभर में बाघों की संख्या को लेकर आंकड़े जारी किए गए हैं। नए आंकड़ों के मुताबिक देश में बाघों की कुल संख्या 2967 पहुंच गई है। दिल्ली में सोमवार को सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आलइंडिया टाइगर एस्टीमेशन 2018 जारी कर दिया। इसके मुताबिक 2014 के मुकाबले देश में 741 बाघ बढ़ गए हैं।

पहले भी रहा टाइगर स्टेट सन 2006 तक मध्यप्रदेश 300 बाघों के साथ टाइगर स्टेट बना था। 2010 में यह राज्य कर्नाटक और 2014 में उत्तराखंड से पिछड़ गया था। एनटीसीए की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में भोपाल, होशंगाबाद, पन्ना, मंडला, सिवनी, शहडोल, बालाघाट, बैतूल और छिंदवाड़ा के जंगल शिकारियों की पनाहगाह बन गए हैं।

मध्यप्रदेश में सन 2012 से अब तक 141 बाघों की मौत हुई है। इनमें से सिर्फ 78 मौतें सामान्य हैं। 6 बाघों की मौत अपने क्षेत्र पर अधिकार को लेकर बाघों के बीच हुई लड़ाई में हुई है. वन मंत्री उमंग सिंघार कहते हैं कि पोचिंग की संख्या कम है, कानफ्लिक्ट ज्यादा है। एक टाइगर के लिए 60-80 किलोमीटर का एरिया। उसके कारण ज्यादा मौतें हुई हैं।
-सन 2012 से 2018 के बीच देशभर में 657 बाघों की मौत हुई, जिनमें से 222 की मौत का कारण शिकार है। बताया जाता है कि इसकी दो और प्रमुख वजह भी हैं। आबादी वाले इलाके में टाइगर का पहुंचना और आबादी बढ़ने के कारण बाघों के वर्चस्व को लेकर उनमें आपसी लड़ाई होना भी अहम है।
बाघों की संख्या कम होने का एक कारण यह भी बताया जाता है कि दूसरे राज्यों में टाइगर कॉरिडोर और जंगल बड़े क्षेत्रों में फैले हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में जंगल बड़े क्षेत्रों में नहीं फैले हैं। इसलिए शिकारी आसानी से घात लगा लेते हैं।

सीधी CHRONICLE

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